तुम्हारे बिना…


 

जो क्षितिज पर रोशनी के ख्वाब बुनते हैं,
वो चुपके से तुम्हारी कहानियाँ सुनते हैं।
ये ज़मीन, ये आसमान, ये रास्ते पुराने,
तुम बिन सब खामोश हैं, अधूरे से दीवाने।

अगर सितारे मुट्ठी में आ भी जाएँ,
उनकी रौशनी फिर भी फीकी पड़ जाए।
सोने के तख़्त और दौलत की बस्तियां,
तुम्हारे मुस्कान के आगे सब ख़ामोशियां।

तुम बिन हर खुशी अधूरी लगती है,
हर साँस जैसे बेमक़सद सी लगती है।
तुम्हारा नाम हर दुआ का सरमाया है,
तुम बिन ये ज़िंदगी, बस इक अधूरा साया है।

मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए,
तुम बिन ये दिल कभी नहीं हँस सकता।
हाथ थाम लो मेरा, कभी न छोड़ो,
तुम मेरे दिन का उजाला, रातों का चैन हो।

सोचता हूँ, अगर अमरता भी मिल जाए,
तो क्या तुम्हारे बिना वो जीवन मुस्काए?
हर लम्हा जैसे बंजर धरती बन जाएगा,
जहाँ तुम्हारी कमी में वक्त भी रो जाएगा।

मोहब्बत का यही सबसे हसीन सितम है,
ये इबादत भी तुमसे शुरू, तुम पर ही खत्म है।
मेरी हर आरज़ू का चेहरा हो तुम,
तुम बिन मेरी रूह का हर ख्वाब अधूरा है, बेदम है।


 


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